आपके घर यदि धन प्रवाह की कमी है या आपके घर पर रामराज्य की अनुभूति नहीं हो रही तो इस समय यह बहुत सरल है।
यदि किसी भी घर की गृहलक्ष्मियाॅ चारों संध्या चार चार पाठ करके महालक्ष्मी को सजीव कर लें तो घर में धन का अविरल प्रवाह सुनिश्चित हो जाएगा।
और यदि किसी भी घर के पुरुष मात्र प्रतिदिन आध घंटे रामायण का मासपरायण कर लें तो उस घर में राम राज्य सुनिश्चित हो जाएगा।इस प्रकार आपका घर तो धन के अविरल प्रवाह और राम राज्य आने से सुखी हो ही जाएगा साथ ही विश्व की दरिद्रता मिटकर विश्व में राम राज्य आ जाएगा।
इस संबंध में शंका समाधान के लिए आप सादर आमंत्रित हैं।
अखंड वैभव प्राप्त करने के लिए लक्ष्मी जी को जगायें। दीपावली पर धनतेरस से भैया दूज तक प्रतिदिन "महालक्ष्मी नमः स्वाहा" की 108 आहुति गाय के घी से हवन करायें।
आज घरों में युद्ध की देवी दुर्गा का जागरण करने की उतनी आवश्यकता नहीं है जितनी शान्ति एवं संपन्नता की देवी लक्ष्मी के जागरण की।
पूरी रामायण में भगवान श्रीराम ने कहीं शक्ति की देवी दुर्गा की उपासना नहीं की वरन् अगस्त्य मुनि के कहने से अपने कुल देवता सूर्य की स्तुति आदित्य ह्रदय स्तोत्र से की थी। आज भी राज परिवारों को राजतंत्र का पुनर्गठन करने के लिए श्री राम का अनुसरण करने की आवश्यकता है।
यदि हमारी प्रजा के घरों में बैठी गृहलक्ष्मी महालक्ष्मी को जगा ले तो हमारा राज्य धनी राज्य हो जाएगा। इसी प्रकार यदि हमारी प्रजा के पुरुष आध घंटे प्रतिदिन रामायण पढकर अपने घरों में श्रीराम को सजीव कर लें तो हमारे राज्य के घरों में राम राज्य आने से हमारे राज्य में राम राज्य के लक्षण दिखाई देने लगेंगे और इन दो क्रियाओं के संचालक राजा में प्रजा का विश्वास और सम्मान बढ़ जाने से अपने अपने राज्य मे राज्य तंत्र का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इस कार्य में संतों और ब्राह्मणों को आगे बढाने से विप्र धेनु सुर संत हित करने वाला राजा राम का प्रति रूप समझा जाएगा।
यदि आपको नौकरी न मिलने के कारण धन अभाव है या व्यापार में उचित लाभ नहीं प्राप्त हो रहा या अज्ञात कारणों से लक्ष्मीकोप के कारण कर्ज हो गया है या लक्ष्मी उपेक्षा के कारण गरीबी या उसके समान स्थिति है तो आपको लक्ष्मी कृपा की आवश्यकता है।
जो कन्याऐं गृहलक्ष्मी नहीं बन पा रही या जो युवक गृहलक्ष्मी नहीं प्राप्त कर पा रहे उन्हें लक्ष्मी कृपा की आवश्यकता है।
जो गृहलक्ष्मी अपने पति से उपेक्षित या तिरस्कृत अनुभव करती है या जिन पुरुषों की गृहलक्ष्मी अकारण कुपित या रुष्ट रहती है उन्हें लक्ष्मी कृपा की आवश्यकता है।
जिस दंपति को संतान का अभाव है या जिनकी संतान कष्टदायी है उन्हें लक्ष्मी की कृपा द्वारा संतान लक्ष्मी का सुख प्राप्त होता है।
विश्व में कोई धनी है तो उस पर लक्ष्मीकृपा कही जाती है और कोई गरीब है तो लक्ष्मी उपेक्षा। कर्जदार है तो लक्ष्मी कोप। अत्यधिक धनी है तो लक्ष्मी अनुग्रह।
लक्ष्मी अष्टकम् का अखंड लक्ष्मी पाठ 24 घंटे करने से शीघ्र लक्ष्मी कृपा प्राप्त होती है। 'महालक्ष्मयै नमः' की 108 घृत आहुति प्रतिदिन देने से भी लक्ष्मी कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
अखंड लक्ष्मी पाठ में अपने घर या पड़ोसियों की सहायता ली जा सकती है। ब्राह्मणों की बजाय किसी भी जाति की गृहलक्ष्मियों द्वारा किया पाठ अधिक फलदायी होता है।
नोट:- इस संबंध में कोई अन्य जानकारी या शंका समाधान हेतु सभी श्रद्धालु आमंत्रित हैं।
कल रात सपने में लक्ष्मीजी आ गईं। मैंने पूछा-आपकी भारत के घर घर में पूजा होती है पर आप अमेरिका यूरोप जैसे ईसाई व दुबई कुवैत जैसे मुसलमान देशों पर अपनी कृपा बरसा रही हो।
वह बोली-दिखावटी पूजा किसे पसंद है। साल के एक दिन पाँच मिनट पूजा करके जीवन भर मेरी कृपा चाहते हैं। भारत के गाँव -गाँव में दुर्गा ग्रामदेवी बनकर पहरा दे रही हैं। मुझे उनके उदण्ड भक्तों से डर लगता है। मैं चंचल स्वभाव की पर ये भक्त पा गये तो जमीन में गाड़ देंगे।
पहले मैं भारत के राजमहलों में स्वछंद निवास करती थी पर अब उन राजमहलों में दुर्गा ने डेरा जमा लिया है।
पहले जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था मैं भारत के हर घर में गृहलक्ष्मी के रूप में रहती थी। परन्तु अब भारत की गृहलक्ष्मी लक्ष्मी पाठ की जगह दुर्गा पाठ करने लगी तो मेरा भारत के घरों से मन उचट गया। कम से कम अमेरिका यूरोप दुबई कुवैत मे मेरा सम्मान नहीं करते तो अपमान भी नहीं करते इसलिए मेरा मन वहाँ लगता है।
पर मैंने तो सुना था तीनों देवियों में किसी एक की पूजा से तीनों प्रसन्न हो जाती है।
हाँ प्रसन्नता और कृपा में अंतर है। जैसे स्कूलों में सरस्वती पूजा से मैं प्रसन्न हूँ पर वहाँ बच्चों को सरस्वती कृपा की आवश्यकता है। इसी तरह दुर्गा पूजा से मैं प्रसन्न हूँ पर वहाँ तो भक्तों को दुर्गा कृपा द्वारा शक्ति की आवश्यकता है। जिसको धन की आवश्यकता होगी वो मेरी कृपा के लिए मुझे याद करेगा।
तब तक मेरी नींद खुल गयी।
मैं सोचने लगा सतोगुण से सुख, रजोगुण से संपन्नता, व तमोगुण से दुख का सृजन होता है। युद्ध की देवी भारत के घरों मे शान्ति और संपन्नता कैसे लायेगी?
कह रहीम कैसे निभै, बेर केर को संग।
वे डोलत रस आपने, उनके फाटत अंग।