विश्व स्वास्थ्य मंत्रालय को भारत में निरोग मंत्रालय का नाम दिया गया है। देहिक ताप या देह के रोग के अस्पताल पूरी दुनिया में हैं परन्तु रामराज्य में त्रिविध ताप या देहिक दैविक व भौतिक ताप से मुक्त होने को निरोग होना बताया है।
अतः विश्व के हर जिले में तीनों प्रकार के रोगों से मुक्त करने वाले औषधालय खोले जाएंगे। दैविक रोग को ऐसे समझना चाहिये जैसे हमारे पिता, पितामह या प्रपितामह ने जो सत्कार्य किये उनका फल हमें उनकी सम्पत्ति या उनकी साख के रूप मिल गया परन्तु कुछ कुकृत्य भी किये उसका फल भी हमें ही भोगना होगा। जिसे पितृदोष के रूप में जाना जाता है। यदि यह दोष तीन पीढ़ी तक निष्क्रिय नहीं हो पाता तो समाज राज्य या राष्ट्र विपदा के रूप में दैवी प्रकोप बनकर परिलक्षित होता है। इसी प्रकार भौतिक ताप आजकल बहुत बढ गया है जैसे किसी को टीवी, फ्रिज, लैपटाप, मोटर साइकिल या कार न मिलने पर मानसिक उदासी आ जाती है जो विभिन्न मानसिक व शारीरिक रोगों को जन्म देती है।
इस तरह त्रिविध तापों के नाश के लिए विश्व के हर जिले में औषधालय खोले जाएंगे। अभी जब किसी अस्पताल में रोगी दवा से ठीक नहीं हो पाता तो दुआ करने की सलाह देते हैं। अगर दवा के बाद भी दुआ ही करनी है तो क्यों न दवा के साथ साथ दुआ करने वाले रामराज्य औषधालयों में इलाज कराया जाय। विश्व के सभी अस्पताल मानवीय मानकों पर स्वास्थ्य के लिए कार्य करते है परन्तु रामराज्य औषधालय दैवी मानकों पर स्वास्थ्य के लिए कार्य करेंगे। जय सियाराम।